आलू की खेती कैसे करें
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पूरे देश में एक बड़े रखने में आलू की खेती रवि मौसम में की जाती है विश्व के समस्त आलू उत्पादन का लगभग 8% आलू भारत देश में होता है चीन और रूस के बाद विश्व में आलू के उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है | आलू एक ऐसा आहार है जो दिन प्रतिदिन पूरे भारत में बनाया जाता है इससे बनने वाले बहुत सारे वस्तुएं हैं आलू सब्जियों में सबसे सर्वश्रेष्ठ है इसे सभी सब्जियों में मिलकर बनाया जा सकता है इसी करी को आगे बढ़ते हुए हम लोग जानेंगे कि आलू की खेती कैसे होती है |
आलू के फायदे तथा आलू में पाए जाने वाले तत्व
- आलोक कार्बोहाइड्रेट का सर्वोत्तम स्रोत है
- आलू में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे ऊर्जा को छोड़ता है
- आलू में रेशा उच्च मात्रा में पाया जाता है जो पाचन तंत्र के लिए लाभदायक होता है
- आलू में वास कोलेस्ट्रॉल एवं सोडियम की मात्रा न्यूनतम होती है
- साथ ही विटामिन सी विटामिन B6 एवं पोटेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है
- आलू खाने में 40% विटामिन सी एवं 20% पोटैशियम जो प्रतिदिन के लिए आवश्यक है
- विश्व में सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला खाद है
आलू से बनने वाली पदार्थ निम्नलिखित है
आलू से बनने वाले विभिन्न पद्धति जो निम्नलिखित है यह पूरे भारत में खाया जाता है और इसे आमतौर पर फास्ट फूड के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है आलू से बनने वाले पदार्थ निम्नलिखित नीचे दिया गया है ऐसे आप जरूर देखें |
आलू से चिप्स भुजिया सूप सो के आलू अत्ता आदि प्रमुख संस्कृत उत्पाद तैयार किए जाते हैं आलू के आटे का प्रयोग बड़ी मात्रा में बिस्कुट बनाने में लाया जाता है इसके अलावा समोसा दोसा पेटिस आदि बनाने में भी किया जाता है |
आलू की खेती कैसे करें
आलू की खेती करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण एवं सबसे जरूरी जो है वह निम्नलिखित आपको नीचे दर्शाया गया है तथा हम लोग जानेंगे जलवायु के बारे में मिट्टी के बारे में बीच के बारे में उसके बाद खेत की तैयारी आदि को हम लोग जानेंगे जिसमें से आलोक कितने प्रकार के होते हैं यह भी जानेंगे तथा फसल सुरक्षा कीड़े मकोड़े कीटनाशक पाउडर आदि के बारे में हम लोग विस्तार से देखेंगे
- जलवायु
- भूमि
- खेत की तैयारी
- उन्नत प्रभेद
- कुफरी अशोक
- कुफरी पुखराज
जलवायु क्या होता है जलवायु क्यों जरूरी है आलू की खेती के लिए
जलवायु सभी फसलों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अहम भूमिका निभाता है जलवायु के बिना खेती ही नहीं बल्कि जीवन भी संभव है जलवायु फसलों को हरा-भरा एवं जीवन प्रदान करता है जलवायु को हम लोग और गहराई से समझेंगे |
आलू की खेती उसमें जलवायु में सफलतापूर्वक की जाती हैं शरद ऋतु आलम उत्पादन के लिए उपयुक्त समय है की जलवायु आलू पौधा वृद्धि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है आमतौर पर आलू की खेती ठंडा मौसम में किया जाता है |
इसकी उपज काफी हद तक होती है या पूरे भारत देश में एक समय में लगाया जाता है खासतौर पर आलू की खेती बिजनेस के लिए अच्छा लाभदायक साबित होता है |
भूमि क्या है खेती के लिए भूमि को कैसे तैयार करें आलू की खेती के लिए भूमि कितना योगदान रखता है
भूमि खेती के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ अनिवार्य है भूमि को तैयार करने के लिए सबसे पहले आपको जोता जाता है मिट्टी तैयार किया जाता है दोमट एवं बालू दोमट मिट्टी आलू उत्पादन के लिए अच्छी पाई गई हैं वैसे तो सभी प्रकार की मिट्टी में आलू की खेती किया जाता है कोई भी फसल मिट्टी में ही खेती किया जाता है |
NOTE:- पर्याप्त जैव पदार्थों की उपलब्धता हो जल जमाव वाली एवं ऊसर भूमि में आलू की अच्छी खेती नहीं होती है |
आलू खेत की तैयारी कैसे करें
सर्वप्रथम आलू की खेत की तैयारी करने के लिए सबसे पहले आपको पुराने फसलों के खरपतवार को हटा ले और अच्छी तरह से साफ कर ले उसके बाद आपको जोत करना है जिस की मिट्टी पलट जाए तथा मिट्टी ऊपर आ जाए उसके बाद आपको कल्टीवेटर से खेत को अच्छी तरह से जोत ले जिस की मिट्टी भुरभुरा हो जाए उसके बाद मिट्टी में अच्छी तरह से 10 टन गोबर के सरे खाद डाल दे |
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उन्नत प्रभेद क्या है इसे कितने भागों में बांटा गया है
आलू की परभेद तीन वर्गों में विभाजित किया गया है पहले आघात किसमें दूसरे माध्यम तथा तीसरी पछेती किस्म है इन तीन वर्गों में इसे बांटा गया है आलू की खेती बहुत ही आसान है इसे अपजाना कठिन नहीं है
राजेंद्र आलू 1
इनकी भंडारण क्षमता औसत हैं और यह रोग अवरोधी किस्म है उत्पादन 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर में होता है यह आलू का बीज सबसे अच्छा एवं उपयोगी है
राजेंद्र आलू 2
इसकी भी भंडारण क्षमता औसत है और रोग अपरोधी किस्म है इस किस्म से 25 से 22 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है
राजेंद्र आलू 3
औसत भंडारण क्षमता के रोग एब्रॉड़ी किस्म है उत्पादन क्षमता 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर पाया जाता है
बीज दर
लगभग 25 से 30 ग्राम वजन के अंकुरित आलू कांड की 30 क्विंटल मात्रा प्रति हेक्टेयर के लिए आवश्यक होता है
बीज उपचार
रोग एवं कीटों से बचाव हेतु बीज उपचार आवश्यक है इसके लिए बी 75% घुलनशील चूर्ण 0.3 प्रतिशत के घोल में आलू कांड को डुबोकर उपचारित करें इसके बाद इसे छाया में 24 घंटे के लिए रख दे और फिर बुवाई करें
बुवाई का समय
अक्टूबर से नवंबर माह के प्रथम पटवारी का समय आलू की बुवाई के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50 से 60 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखने पर आलू का अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है |
आलू का खेत फसल सुरक्षा
आलू में रोग एवं कीटों के प्रकोप के अतिरिक्त पाल से भी फसल को हानि पहुंचती है |